एक अच्छे और सफल निवेशक बनने के लिए "कान का पक्का और दिल से मजबूत" होना चाहिए
इस बात को कहने के पीछे कुछ तर्क और अनुभवऔर घटनाएं भी शामिल हैं ।
जब मैने निवेश करियर की शुरुआत की थी तो मैने भी वही गलतियाँ की थी जो एक नौसिखिया निवेशक करता है।
यदि आप किसी न्यूज़, व्यक्ति विशेष के कहने पर शेयर में निवेश करते हैं तो 90 प्रतिशत आपका लिया गया निर्णय गलत हो सकता है केवल 10 प्रतिशत सही होने की संभावना रहती है।
शुरू में मैने स्वयं न्यूज़ और अफवाहों के आधार पर Godha Cabcon नामक कंपनी का शेयर लगभग13 रुपये के औसत मूल्य पर खरीदा। सलाहकारों का मानना था कि उस कंपनी का शेयर अभी और ऊपर जाएगा ।शेयर जैसे जैसे गिरता गया में और औसत करता गया,परंतु कुछ समय पश्चात देखते ही देखते उस मूल्य घट कर 0.85 पैसे पर आ गया और मेरा पूरा पैसा शून्य हो गया।ये केवल मेरा ही नही हर निवेशक इस तरह की सलाह में फँसता अवश्य है।
स्वयं की रिसर्च क्यों आवश्यक है
निवेश सम्बन्धी सलाहकार हमेशा एक बात बोल कर साफ निकल जाते हैं कि अपनी खुद की एनालिसिस भी करें , गौर करने वाली बात ये है कि जब आप किसी को सलाह भी दे रहे हैं और उसे चेतावनी भी दे रहे हैं तो ऐसा क्यों ।क्योंकि निवेश में फ़ायदे के साथ साथ ज़ोखिम भी साथ चलता है।
सलाह देने वाले उस शेयर को कब खरीदेंगे और कब उस शेयर से निकल जाएंगे यह आपको पता भी नही चलेगा और जिनको सलाह दी गई हैव उसमें फँस जाएँगे।
जब मैनें अपनी स्वयं से शेयर की रिसर्च करके शेयर खरीदने शुरू किए वो शेयर 2-3 वर्ष में 100,150 200 प्रतिशत तक बढ़ गए जिनमे से कुछ शेयर इस प्रकार हैं
1.Godfrey Philip- 11 मई2022 को इस शेयर में निवेश किया 1124.50प्रति शेयर(खरीद मूल्य ) के हिसाब से जो बाद में 3600 रुपये से भी ऊपर तक चला गया
2. NTPC- इसी प्रकार NTPC के शेयर को जनवरी 2022 में 140.70 रूपए के भाव पर ख़रीदा और बाद में यह शेयर अपने 359 रूपए के उच्चतम भाव पर पहुँच गया।
वारेन बुफ़े क्यों निवेश में सुरक्षात्मक दृष्टिकोण पर जोर देते हैं -
यदि एक निवेशक द्वारा किये गए निवेश में वह सुरक्षा प्रदान नही कर पा रहा है तो ऐसे निवेश में लाभ कम और हानि ज्यादा होने की संभावना है।यह बिल्कुल उसी प्रकार है जैसे आप एक व्यवसाय करने जा रहे हैं और उसमे आने वाले लाभ हानि का पूर्वानुमान न हो।
एक सफ़ल निवेशक का काम होता है लाभ अर्जन के साथ ज़ोखिम को कम करना । जिन प्रतिभूतियों (Securities) में आप निवेश की योजना बना रहें हैं क्या उनमें आपका निवेश सुरक्षित है इस बात की जाँच अवश्य कर लें।इस ज़ोखिम को कम करने का दूसरा उपाय है कि आप अपने निवेश को Diversify करें।
Diversification का अर्थ होता है कि आप अपने निवेश को अलग अलग securities में अपने निवेश को बाँट दें।यदि एक निवेशक अपने Portfolio को Diversify करता है तो वह सीधे तौर पर अपने निवेश के ज़ोखिम को कम कर देता है। जैसे कुछ प्रतिशत म्यूच्यूअल फण्ड में,कुछ Equity में कुछ प्रतिशत निवेश Gold में कर सकते हैं।
ध्यान रहे किसी अन्य के Portfolio को देख कर निवेश करना आपको लाभ की बजाय हानि की ओर लेकर जा सकता है क्योंकि सभी की आवश्यकताएं, प्राथमिकताएं ,निवेश के लिए पूँजी अलग अलग होती हैं। इसलिए ऐसी निवेश योजनाएं न बनाएँ स्वयं की आवश्यकता, और प्राथमिकता को ध्यान में रखकर किया गया निवेश ही आपको लाभ कर सकता है।
शेयर में तरलता की प्राथमिकता को समझें -
साधारणतः किसी भी निवेश में liquidityअर्थात तरलता का अर्थ होता है कि आवश्यकता पड़ने पर ,या शेयर के मूल्य में उचित वृद्धि होने पर उसे बेचा जा सके । किसी भी शेयर में निवेश करने से पहले इस बात की जानकारी कर लें कि -क्या उस शेयर में तरलता है क्या आप उसे आसानी से और तुरंत बेच सकते हैं अथवा नहीं। क्योंकि कई बार कुछ शेयरों में मूल्य तो बढ़ जाता है लेकिन उनमे सर्किट लग जाने के कारण आप उसे मनचाहे मूल्य पर नहीं बेच पाते। इसकी पहचान करने के लिए आप इन बातों पर अवश्य ध्यान दें।
- क्या वह शेयर केवल Operator द्वारा संचालित है,
-क्या वह पैनी स्टॉक है
ऐसे शेयर में तरलता कुछ समय तक रहती है ।
Penny Stock या Operator द्वारा संचालित शेयर में ज्यादातर तरलता बहुत कम होती है।जब उस शेयर के मूल्य बढ़ रहे होते हैं तो अमूमन उनमें सर्किट लग जाता है जिसके कारण बढ़े हुए मूल्य पर आप उसे बेच नही पाते फिर वो नीचे गिरते हैं तब कहीं आप उसे बेच सकते हैं।अर्थात आप जिस मूल्य पर उसे बेचना चाहेंगे उस मूल्य पर वह नही बेचा जा सकता।
इसलिए किसी भी शेयर में निवेश से पहले इस बात की पुष्टि कर लें कि उस शेयर में तरलता है अथवा नही।
जैसे- IFL का शेयर इसमें 1 मिनट में बड़े Volume के साथ 100% buying आती है और कुछ ही मिनट बाद बड़े volume के साथ Selling आती रहती है और शेयर का भाव ऊपर नीचे झूलता रहता है।
कंपनी की आय में स्थायित्व,Growth का होना
किसी कंपनी की आय स्थायी है कि अस्थायी इसे पता करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण अनुपात के आधार पर परखा जा सकता है जो निम्न प्रकार हैं
1.क्या कंपनी की ROE में निरंतर वृद्धि देखी जा रही है और क्या यह वृद्धि 1 साल तक टिक पाएगी , निवेश निर्णय लेने से पहले इस बात को ध्यान रखना अत्यंत जरूरी होता है। यदि किसी शेयर की ROE उसके PE रेश्यो से ज्यादा है तो उस शेयर में निवेश के अवसर खोजे जा सकते हैं।
2.Sales में वृद्धि- पिछले2-3 साल में कंपनी Sales में वृद्धि दिखा पा रही है या नही।हालाँकि कुछ कंपनियों के व्यवसाय का मॉडल कुछ इस प्रकार भी हो सकता है की वह किसी 1 या 2 क़्वार्टर में उसकी सेल्स में ग्रोथ न हो लेकिन अगले क़्वार्टर में वह अच्छा प्रदर्शन कर ले। ऐसा अधिकतर सिक्लिकल कंपनियों या जिन कंपनियों का बिज़नेस मॉडल ब्याज दरों से प्रभावित होता हो के साथ देखा जाता है जैसे -सीमेंट ,रियल एस्टेट अदि
3.क्या PAT में वृद्धि दर शामिल है
PAT (Profit After Tax ) अर्थात कंपनी के सभी खर्चे ,Libilities और Tax घटा कर जो लाभ बचता है उसे PAT कहते हैं। इसमें एक निवेशक को यह जांचना जरुरी है की क्या कंपनी के PAT मार्जिन्स में QOQ या साल दर साल वृद्धि हो रही है।
यदि कंपनी अपनी अपने profit नही निकाल पा रही तो यह भी ध्यान रखें कि वो आपके निवेश पर भी लाभ नही दे पाएगी।
4.EPS Growth किसी भी कंपनी के शेयर में हो रही वृद्धि की दर को जाँचने का महत्वपूर्ण रेश्यो माना जाता है।
ऐसे और भी विभिन्न अनुपात (Ratio) हैं जिन पर एक निवेशक की पैनी नज़र रहती है और वह उन अनुपात के आधार पर कंपनी की Valuation को समझ कर अपने निवेश के निर्णय लेता है।
एक सफल निवेशक उन्ही शेयर, सिक्योरिटीज में निवेश करता है जहाँ उसके निवेश के उद्देश्य पूरे होते हों।
निवेश को मुद्रा स्फीत से बचाव का साधन क्यों माना जाता है
महँगाई किसी भी व्यक्ति, संस्था के आर्थिक जीवन मे दीमक की तरह होती है जी अंदर से खोखला करती जाती है।
यदि आप 10 साल पहले किसी उत्पाद को 10 रुपए किलो के हिसाब से खरीदते थे आज उसी अनुपात में उसको खरीदने के लिए 50 रुपये देने होते हैं इसी को Inflation(महंगाई)) कहते हैं।
और क्या जिस प्रकार महँगाई की दर में वृद्धि हुई है क्या आपकी आय में भी साल दर साल उतनी या उससे ज्यादा वृद्धि हुई है।
महँगाई प्रतिवर्ष 4-5% की वृद्धि दर से बढ़ती है।
एक निवेशक का काम हकता है कि इस बढ़ती हुई मँहगाई की दर से ऊपर लाभ अर्जित करना तभी वह लाभ कमा सकता है ।
एक निवेशक का काम होता है अपने निवेश पर महँगाई की दर से अधिक लाभ अर्जित करना।
यदि म्यूच्यूअल फण्ड की बात की जाए जो एक निवेशक को कम जोखिम के साथ साल दर साल 12-15% का लाभ दे सकती है।
दुनिया की महान निवेशक वारेन बुफे ने म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करके ही अपने लाभ को अधिकतम किया है।
अतः निवेश एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा महंगाई के कारण वस्तुओं की कीमतों में हुए परिवर्तन से व्यक्ति के जीवन मे होने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है।
सिक्योरिटीज में निवेश के लिए वैधानिकता क्यो आवश्यक है-
शेयर अथवा सिक्योरिटीज में निवेश करने से पहले उस कंपनी ,Securities की वैधता को परखना बेहद जरूरी मन जाता है अन्यथा आपका निवेश शून्य भी हो सकता है।
यदि आपका निवेश LIC की किसी स्कीम में है तो यह आपको ज़ोखिम से बचा सकता है
अगर शेयर्स ,इक्विटी में निवेश की बात की जाय तो उस sector में सरकार की नीतियों को ध्यान में रख कर ही निवेश की योजना बनाएँ।
कुछ ऐसे सेक्टर Industries हैं जिनमे सरकार की नियम, आपके निवेश पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं
जैसे- Healthcare,Pharmaceuticals, Alchohal Industries इत्यादि में सरकारी नीतियां कड़ी रहती हैं।
ब्याज़ दरों का महत्व
जब देश मे ब्याज़ की दरें कम होती हैं तब ऐसे सेक्टर में उछाल देखने को मिलता है लार जैसे ही ब्याज़ की दरें बढ़ना शुरू हो जाती हैं तब व्यक्ति काम खर्चा करना शुरू करता है जिससे बाजार में इन क्षेत्रों में Growth कम हो जाती है। कमोडिटी, फाइनेंसियल, बैंकिंग इत्यादि जैसे Sectors में ब्याज़ की दरें कंपनी के लाभ ,लागत की दरों पर प्रभाव डालती हैं
अमेरिका में 2008 के आर्थिक संकटों में भी ब्याज की दरों का सबसे ज्यादा योगदान रहा था।
जैसे एक व्यक्ति तब घर खरीदने का निर्णय लेंगे जब बैंक से उसे कम ब्याज़ दर पर लोन देगा और बैंक भी कम ब्याज़ दर पर लोन तभी दे पाएगा जब उस देश मे ब्याज़ की दरें कम, सामान्य हों।
अर्थात एक निवेशक के लिए अपनी निवेश योजना बनाना बहुत ही सरल नही होता है।उसे ऐसी बहुत सी घटनाओं पर भी ध्यान रखना पड़ता है जो बाज़ार को Short Termके लिए झकझोर देती हैं
यदि निवेशक long Term के लिए निवेश की योजनाएं बनाते हैं तब बाज़ार की उथल पुथल का निवेश पर कोई बड़ा प्रभाव नही पड़ता।
दीर्घ अवधि के लिए अपनी निवेश योजना बनाने वाले को ही निवेशक माना जाता है।
Q. 1 महँगाई प्रतिवर्ष कितने प्रतिशत की वृद्धि दर से बढ़ती है
A-10%
B-12%
C-05%
D-01%
Q.2 किस Sector में ब्याज़ की वृद्धि दरों का प्रभाव पड़ता है
A-Banking & Finance
B- Automobile
C- Commodity
D- उपर्युक्त सभी
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