2008 का आर्थिक संकट: एक संवेदनशील विश्लेषण" एवं ब्याज दरों का महत्व

 आर्थिक संकट यह एक ऐसी स्थिति है जब किसी देश या क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों में धीमा या नकारात्मक परिवर्तन होता है। इसका परिणाम यह होता है कि GDP,ब्याज़ ,बेरोज़गारी  की दरें गिरने लगती हैं और विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में सुधार की बजाय, वह ठप्प हो जाती हैं। 2008 का आर्थिक संकट इसका एक उदाहरण है, जिसने  विश्व  की अर्थव्यवस्थाओं को प्रभावित किया। यह एक वाणिज्यिक क्रांति के परिणाम के रूप में सामने आया, जिसने निवेश बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं में गिरावट को उत्पन्न किया।


विषयवस्तु

1.परिभाषा,अर्थ

2.आर्थिक संकट का उत्पत्ति

3.आर्थिक संकट में वित्तीय संस्थानों की भूमिका

बैंक, investment बैंक,क्रेडिट रेटिंग agencies, insurence agencies

4.ब्याज दरों(Mortgage Interest Rate) की भूमिका

5.आर्थिक संकट का जनमानस और वित्तीय व्यवस्था पर प्रभाव

6.आर्थिक संकट का शेयर बाजार और कंपनियों पर प्रभाव

7.Layman Brothers की भूमिका और दिवालिया होना

8.आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की भूमिका और Ballout

9.2008 के आर्थिक संकट का चक्रीय विवरण और इसके चरण

1.परिभाषा,अर्थ-

 आर्थिक संकट को एक प्रकार से आर्थिक मंदी भी कहा जा सकता है।जब किसी देश या भौगोलिक  परिदृश्य में उस देश की आर्थिक ग्रोथ की गति या तो रुक जाती है या धीमी गति से चलती है तब उस स्थति को आर्थिक संकट कहा जा सकता है।ऐसी अवस्था मे GDP की दर गिरने लगती है और देश के लगभग सभी क्षेत्रों (उत्पादन, विनिर्माण, आयात निर्यात, बैंकिंग व्यवस्था, बचत निवेश इत्यादि)में इसका असर देखने को मिलता है। एक प्रकार से आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ जाती है।

कुछ आर्थिक संकट केवल एक देश,भौगोलिक क्षेत्र तक सीमित रहते हैं परंतु कुछ आर्थिक संकट ऐसे होते हैं जिनका प्रभाव एक भौगोलिक क्षेत्र(देश) से निकल कर पूरे  विश्व को अपनी चपेट में ले लेता है।

2008 का आर्थिक संकट भी ऐसे ही एक संकटों में से एक था जिसने पूरी विश्व की अर्थव्यवस्थओं को अपने शिकंजे में जकड़ लिया था ।जब भी कोई आर्थिक संकट अमेरिका जैसे देशों पर आता है तो स्वाभाविक रूप से वह अन्य देशों को भी प्रभावित करता है ।

2.आर्थिक संकट का उत्पत्ति

2008 के आर्थिक संकट की नींव  अमेरिका में आये पूर्व .कॉम बबल  के बाद से इसका  पहला चरण प्रारंभ होता है लगभग 8 वर्ष अर्थात वर्ष 2000  से।

वर्ष 2000 के .com बबल के पश्चात अमेरिका ने आर्थिक गतिविधियों को सुधारने के कारण FED ने ब्याज दरों को 6% से घटा कर  बहुत कम यानी 1%-1.75% तक कर दिया था ताकि अर्थव्यवस्था में तरलता(Liquidity) आ सके ।

2000 के मार्किट crash में बहुत सारे निवेशकों ने अपना पैसा डूब दिया था इसलिए निवेशकों का भरोसा शेयर बाज़ार से लगभग उठ चुका था और अब वह निवेशक ,investment बैंक अब निवेश के ऐसे अवसर खोज रहे थे जो पूरी तरह से सुरक्षित हों।

तब उन  निवेशकों को सबसे सुरक्षित निवेश Real Estate दिखा ,उस समय जमीन की कीमतें भी बढ़ रही थीं साथ ही कम ब्याज दरों पर उन्हें bank  Loan भी मिल रहा था।

तब सुरक्षा की दृष्टि से निवेशकों ने घर,Real Estate में निवेश करना प्रारंभ कर दिया 

1 से 2 साल  तक यह शिलशिला चलता रहा साथ ही real estate की कीमतें बढ़ रही थीं और धीरे-धीरे रियल estate में एक boom आने लगा 


3.आर्थिक संकट में वित्तीय संस्थानों की भूमिका

बैंक, investment बैंक,क्रेडिट रेटिंग agencies, insurence agencies



A.बैंक द्वारा दिये गए loan-बैंक ने 2 प्रकार के लिण दिए पहला प्राइम loan और दूसरा subprime loan

इस समय बैंक ने  पहले उन लोगों को लोन देने प्रारंभ किया था जिनकी लोन को चुकाने की क्षमता थी और जिनके डिफ़ॉल्ट करने की संभावना भी कम थी। और यह लोन देने की लिए बैंक कोई न कोई mortgage (securities)  paper रखती थी ताकि अगर वो लोग डिफ़ॉल्ट कर भी जाएँ तो उनकी संपत्ति को जब्त कर loan का पैसा वसूल किया जा सके।

धीरे धीरे अब निवेशक के बजाय सट्टेबाज भी इसमें अपना intrest दिखाने लगे अब loan लेने वालों की संख्या में बढोत्तरी होने लगी ।बैंक के पास लिक्विडिटी(अधिक cash) नही था तब बैंक ने investment bank को mortgage पेपर (securities) को गिरवी रख कर उनसे पैसा उधर ले लिया। 

B.Investment Bank-  Investment बैंक का काम होता है कि वो निवेशक के पैसे  को सुरक्षित  निवेश के विकल्प प्रदान करता है।  इसलिए यह निवेश के लिए  ऐसे assets खोजते रहते है जो पूरी तरह से सुरक्षित और जिनमें कम जोखिम हो।उस समय यह Mortgage Paper(Securities) AAA Rating के कारण Investment Banks को निवेश की दृष्टि से अधिक सुरक्षित लगे ।

अब Investment बैंक martgage Paper  की  एक safe और secure ,securities(Product)  बनाती है जिसे COD कहा जाता है उसको बड़े निवेशकों और HNI  Investors को बेचती है।जिन पर उन्हें 8-10% का intrest मिलता है। 

HNI निवेशक ऐसे निवेशक होते हैं 10-20 करोड़ का निवेश करते हैं और यह सरकारी बांड,Securities में ही निवेश करते हैं।

C. Credit Rating Agencies- बड़े निवेशक और HNI clients उन COD की साख को देखते हैं कि क्या वो निवेश के योग्य सिक्योरिटीज हैं कि नही। Rating Agencies ने इन COD को AAA Rating दी थी क्योंकि प्रारंभिक loan लेने वाले लोग  prime customers .

क्रेडिट rating agencies जैसे Morgan Stanly Moddy, Bharat की Crishil, care आदि।

D.Insurence Agencies- अमेरिका की सबसे बड़ी  Insurence agencies AIG  न मार्किट में COD  में निवेश की माँग और निवेशकों के रुझान को देखते हुए उन COD पर insurence देना प्रारम्भ कर दिया।

जैसे अगर किसी निवेशक ने 10 लाख का कोई COD ( Debt) में निवेश किया तो निवेशक  उसका 50 हजार का प्रीमियम देकर उसको insurence कर सकते हैं ताकि अगर कभी बैंक या कर्जदार default करे तो insurence agencies उसकी भरपाई करेगा।

साथ ही ये insurence कोई भी ले सकता था भले ही किसी ने किसी COD को खरीद हो या नही।

जब AIG ने insurence करना प्रारंभ किया तो बड़े निवेशकों और देशों का रुझान भी इन debt Securities में निवेश करने लगे।

E.COD’s की मांग Increased - यह securities(Debt)  AAA rating थी साथ ही AIG इन्हें insure करने लगी तो यह निवेशक को निवेश के लिए आकर्षित करने लगी और COD की माँग बढ़ने लगे जाती है।

F. बैंक द्वारा Subprime Loan देना-चूंकि अब COD की माँग बढ़ने लगी थी तो बैंक को और mortgage Securities paper, investment bank को देने थे जो loan देकर ही आ सकते थे तब बैंक ने और अधिक मात्रा में लोन देने प्रारम्भ कर दिया। अब बैंक ने ऐसे लोगों को भी लोन देने शुरू कर दिया था जिनकी salary बहुत कम थी या फिर जिनका कोई आय का स्रोत नही था और चूंकि Rate of Intrest कम था  इसलिए लोग House loan ले रहे थे।

House loan, कार loan ,credit card पर लोन आदि। यहां जो subprime लोन देने  वाले बैंक अपना जोखिम दूसरों को transfer कर रहे थे ताकि उनका Risk  कम हो सके।

यहां तक कि 70 वर्ष तक के लोगों को लोन दिया गया।

सभी वित्तीय संस्थान पैसा बना रहे थे इसलिए किसी ने इस बात पर ज्यादा ध्यान नही दिया और चूंकि वो loan किसी न किसी प्रॉपर्टी पर थे तो सभी को पता था कि अगर default कर भी देंगे तो  उनके घर बेच कर ,नीलामी कर के उस लोन को वसूल किया जा सकता था।


4.ब्याज दरों (Mortgage Interest Rate) की भूमिका

2008 के आर्थिक संकट का सबसे बड़ा कारण यहीं से शुरू होता है क्योंकि House loan पर जो intrest rate था वह Flexible Interest rate(Adjustable Mortgage Rate) था जिसका  साधारणतः अर्थ था कि पहले वर्ष 1% का interest  देना होता था और दूसरे वर्ष 2% ,तीसरे वर्ष 4% तो ब्याज दरें भी बढ़ने लगी। जैसे किसी ने 50 लाख का लोन लिया टैब पहले वर्ष उसे 50 हजार ब्याज देना था पर जब ब्याज दरें 4% हुई तब उसी व्यक्ति को 2 लाख देना था ।

अब जिन लोगों की आमदनी ठीक नही थी उन्हीने default करना प्रारंभ कर दिया।


घरों की नीलामी(Auction)के कारण माँग एवं पूर्ति में असंतुलन होना-

जब कर्जदारों ने डिफ़ॉल्ट करना प्रारंभ किया तो जिन घरों पर लोन था उनकी नीलामी होने लगी और धीरे- धीरे बैंक ने बड़ी संख्या में अपना पैसा वसूलने के लिए  घरों की नीलामी शुरू कर दी।उसी समय Intrest Rates बढ़ने लगने।

घर की कीमतें गिरने लगी और और साथ ही साथ माँग  भी कम होने लगी ,क्योंकि जिन लोगों ने घर लिया था उनमें से ज्यादातर ऐसे लोग थे जिन्होंने निवेश, सट्टेबाजी के उद्देश्य से घर पर लोन लिया था न कि रहने के लिए।

घर ,रियल एस्टेट के मूल्य का अवमूल्यन

 अधिक पूर्ति के कारण अब घरों की कीमत  गिरने लगी और ब्याज दरें बढ़ने लगी। इसके कारण अब उन लोगों ने भी डिफ़ॉल्ट करना शुरू कर दिया जिनकी लोन चुकाने की क्षमता थी ।ऐसा इसलिए हुआ कि जिस घर के लिए उन्हें 50 लाख देना था अब उस घर की कीमत 30 लाख के लगभग हो चुकी थी।


5.आर्थिक संकट का वित्तीय व्यवस्था पर प्रभाव 

  जैसे जैसे डिफॉल्ट करने वालों की संख्या बढ़ने लगी तब पैसे का आवागमन अवरुद्ध होने लगा Mortgage Securities जब डिफ़ॉल्ट होने लगी तो इस स्थिति को देखते हुए Investors(HNI) ने अपना पैसा AIG से निकलना शुरू कर दिया ,क्योंकि AIG ने उन securities को Insurence किया था। और इस तरह पूरी तरह से Housing Bubble का फटना शुरू हो गया। अब पैसा देने वालों की संख्या न के बराबर थी जबकि  मांगने वाले investors बहुत थे।


6.आर्थिक संकट का शेयर बाजार और कंपनियों ,जनमानस पर प्रभाव

Housing bubble के  फूटने के बाद अमेरिका की इन सभी कंपनियों के शेयर के दाम बहुत तेजी के साथ गिरने लगे।AIG का शेयर Price 2006 में $60 पर था जो टूट कर 2008 में $2 पर आ गया 

30 मिलियन से ज्यादा लोग उस समय रातोंरात बेरोजगार की कतार में खड़े हो गए ।

30 से अधिक Subprime loan देने वाली कंपनी दिवालिया हो गई थीं।

Housing Prices 31.8% से नीचे गिर गए थे।

वर्ष 2010 तक बेरोजगारी का आँकड़ा 9% के पार जा चुका था।


7.Layman Brothers की भूमिका और दिवालिया होना

2008 के आर्थिक संकट में सबसे बड़ा नुकसान Layman Brothers कंपनी ने उठाया।

Layman Brother कंपनी 1853 से अमेरिका में काम कर रही थी।यह अमेरिका की सबसे बड़ी Investment Bank थी जिसने बड़े से बड़े crices जिसमें  1929 का  Great Depression को भी  देखा था। इस लिए इनके CEO को लगता था कि वो अपनी कंपनी को बचा सकते हैं ।लेकिन ऐसा नही हुआ और उन्होंने स्वयं को  september 2008 में दिवालिया घोषित करने के लिए अर्जी दी दी।

इस कंपनी ने अपने investors से बहुत कर्ज ले लिया था,साथ ही इसने 2 ऐसे बैंकों का acqusition किया था जिसने subprime लोन अधिक दिए थे। ऐसे कुछ कारण रहे थे जिसके चलते यह बैंक खुद को दिवालिया हिने से नही बचा पाई।



8.आर्थिक संकट से निपटने में सरकार की भूमिका और Ballout-

इसमें अमेरिकी सरकार ने बहुत सारी असफल कंपनियों को पैसा देकर(पूंजी इंजेक्शन) उन्हें ballout कराया ताकि  economy और companies को सही दिशा में लाया जा सके ताकि वो अपना काम सुचारू रूप से कर सकें। साथ ही कुछ institution ने दूसरी companies को खरीद कर अपने मे विलय कर लिया थाअमेरिकी सरकार ने AIG को $150 बिलियन पैसा देकर उसे Balout कराया था।

कांग्रेस ने  Economy और कंपनियों बचाने के लिए $800 बिलियन का balout package निकाला । 

वहीं  FED Reserve की gaurantee पर  J P Morgan ने $30 बिलियन Bear Stearns को खरीद कर बचाया था।



9.2008 के आर्थिक संकट का चक्रीय विवरण और इसके चरण

यह आर्थिक संकट बैंक से शुरु होकर वहां से Investment बैंक की तरफ बढ़ा उसके बाद Rating Agencies, investors(HNI), Insurence sector से पूरी अर्थव्यवस्था में फैल गया।यदि यह संकट किसी एक देश मे होता तो शायद  इसका प्रभाव वैश्विक स्तर पर नही पड़ता पर चूँकि यह अमेरिका से शुरू हुआ इस कारण यह  भारत सहित विश्व के अन्य देश भी इसकी चपेट में आ गए थे।

हालांकि कुछ अर्थशास्त्रियों और निवेशकों ने 2005 में ही  इसको भाँप लिया था परंतु Market Boom पर था हर तरफ demand थी इस कारण उनकी research को अनदेखा कर दिया गया था।इनमे भारत के उस समय के गवर्नर रघुराम राजन एवं Michael Burry(Hedge Fund Manager) थे।

उस समय Micheal Burry ने  Svapps करके (शेयर मार्केट में short position लेकर अपने जीवन का सबसे ज्यादा पैसा कमाया जिस पर एक फ़िल्म भी बनी जिसका नाम The Big Shorts था ।

























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